जीने की अदा सीख रहा हूं अभी...
परिचय का मोहताज हूं तो परिचय देने का हक नहीं और आप मुझे जानते हैं तो परिचय की जरूरत क्या है....
कहा है कि ‘हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी’, मुझे लगता है मुझमें दस-बीस नहीं हजारों आदमी हैं... और अक्सर मैं खुद को पहचान नहीं पाता...
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