Friday, May 7, 2010

चूरू के जयपाल स्वामी का आईसीएस में चयन

चूरू, 07 मई। आईसीएस परीक्षा में तीन बार इंटरव्यू फेस कर असफल होने के बावजूद हार नहीं मानने वाले चूरू के जयपाल स्वामी आईसीएस में चयन (453 वीं रैंक) के बाद अब संतुष्ट महसूस कर रहे है। उनका कहना है कि आखिर उन्हें अपनी मेहनत का फल मिल ही गया।
जिले की तारानगर तहसील के गांव बूचावास में किसान दंपत्ति महादेव प्रसाद स्वामी और माता शांति देवी के आंगन में आठ जनवरी 1980 को जन्मे जयपाल स्वामी फिलहाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सोमासी में तृतीय श्रेणी अध्यापक पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने एसबीडी कॉलेज सरदारशहर से बीए करने के बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली से बीएड का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इससे पूर्व वे छह बार आईसीएस परीक्षा में शामिल हो चुके हैं और तीन बार इंटरव्यू का सामना उन्होंने किया है। गत वर्ष आरएएस में उन्होंने 17 वीं रैंक हासिल की थी।
जयपाल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है, जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद उसके आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं आने दी। आईसीएस परीक्षा के लिए जयपाल ने दिल्ली में रहकर भी तैयारी की, जिसका लाभ उन्हें आरएएस परीक्षा में भी मिला तो आईसीएस में भी। जयपाल कहते हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पानी है तो पढाई का हिसाब घंटों में मत रखो। जब तक अध्ययन बिंदु समझ में नहीं आ जाए, तब तक उसे छोड़ो मत, इसमें चाहे कितना भी समय लगे।
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बायोडाटा - जयपाल स्वामी
नाम -श्री जयपाल स्वामी
पिता का नाम श्री महादेव प्रसाद स्वामी
माता का नाम श्रीमती शांति देवी
आईसीएस में रैंक 453 वीं
जन्म तिथि 08.01.1980
शिक्षा बीए, बीएड

पता ग्राम -बूचावास, तारानगर, चूरू राजस्थान
मोबाइल नंबर 9783337713
प्रयास -आईसीएस में यह सातवां प्रयास
-पूर्व में तीन बार इंटरव्यू का सामना
-आरएएस 2009 में 17 वीं रैंक
संप्रति तृतीय श्रेणी अध्यापक, राउप्रावि सोमासी, चूरू।
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Monday, April 5, 2010

मानवीय संवेदनाओं के कुशल चितेरे हैं रामकिशन अडिग

जिला कलक्टर डॉ कृष्णाकांत पाठक ने प्रयास संस्थान की ओर से सूचना केंद्र में आयोजित कला प्रदर्शनी का शुभारंभ किया
चूरू, 4 अप्रैल। शहर के सूचना केंद्र में रविवार को प्रयास संस्थान की ओर से आयोजित ख्यातनाम प्रयोगधर्मी चित्रकार रामकिशन अडिग की कलाकृतियों की प्रदर्शनी का शुभारंभ जिला कलक्टर डॉ कृष्णाकांत पाठक ने किया। इस मौके पर अडिग की कलाकृतियों की सराहना करते हुए डॉ पाठक ने कहा कि संवेदना प्रत्येक व्यक्ति के मन में होती है, लेकिन चित्रकर अपने इर्द-गिर्द घटती घटनाओं और परिवेश से जुड़ी प्रतिक्रियाओं के सहारे मानवीय संवेदनाओं का अनूठा संसार रच देता है। उन्होंने कहा कि प्रतिभावान चित्रकार अडिग ने दृश्यमान जगत के विरोधाभास, विषमता, ऊंच-नीच, भीतरी छटपटाहट और आर्थिक वर्गों में बंटी दुनिया को रंगोें के जरिए कैनवास पर उतारा है। उन्होंने कहा कि अपनी कलाकृतियों में अडिग रंगों के खिलाड़ी के रूप में सामने आते हैं और मूर्त को अमूर्त व अमूर्त को मूर्त बनाने में उनके भीतर की कला अभिव्यक्त होती है।

चूरू के वरिष्ठ चित्रकार जी एन अंसारी की अध्यक्षता में आयोजित उद्घाटन समारोह में अतिरिक्त कलक्टर बी एल मेहरड़ा ने कहा कि यू ंतो प्रत्येक व्यक्ति हर दिन अनगिनत घटनाओं से रूबरू होता है लेकिन सृजनधर्मी का दृष्टिकोण प्रत्येक घटना के प्रति अलग होता है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था में व्याप्त असंगतियां और विषमताएं सृजक के मन में आक्रोश उत्पन्न करती है और यही आक्रोश सृजन का रूप धरकर सामने आता है।
विशिष्ट अतिथि हनुमान कोठारी ने कहा कि अडिग एक ऎसे कलाकार हैं, जिनके यहां कोई भी कथ्य हो, एक गहरी रागात्मकता और कल्पनाशीलता के साथ कई आयामों को लेकर प्रकट होता है। चित्रकार जी एन अंसारी ने अडिग की प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए कहा कि नारी विमर्श से जुड़े उनके चित्रो रेखांकनों में एक खास बात ध्यान खींचती है कि यहां अडिग की कलम और कूंची में एक सांगीतिक लय है जो नारी के उस अज्ञात और गोपन संसार के अपने आनंद को अभिव्यक्त करने में सहायक होती है, जिसमें एक स्त्री अपना वैयक्तिक सुख खोजती है।
चित्रकार रामकिशन अडिग ने इस मौके पर कहा कि सैकड़ों प्रदर्शनियों में वे अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन अपने गृहजिले में प्रदर्शनी को लेकर वे बहुत उत्साहित और प्रसन्न हैं। उन्होंने अपनी सृजन प्रक्रिया और अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि अपने चारों तरफ की तमाम अच्छी-बुरी चीजें उनकी संवेदनाओं को सृजन की शक्ति और प्रेरणा देती हैं। प्रयास संस्थान के अध्यक्ष दुलाराम सहारण ने आभार जताया। इससे पूर्व संस्थान के सचिव कमल शर्मा, सुधींद्र शर्मा सुधि आदि ने माल्यार्पण कर अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार बैजनाथ पंवार, सहायक जनसंपर्क अधिकारी कुमार अजय, मानसिंह सामौर, श्रीभगवान सैनी, डॉ रामकुमार घोटड़, डॉ सत्यनारायण शांडिल्य, अलका पालावत, मंजू शर्मा सहित बड़ी संख्या में कलाप्रेमी, साहित्यकार, पत्रकार और शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद थे। कला-प्रदर्शनी को देखने के लिए दिनभर सूचना केंद्र में शहरवासियों का तांता लगा रहा। कलाप्रेमियों ने अडिग की कलाकृतियों को गौर से निहारा और आयोजन की सराहना की।
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Tuesday, February 23, 2010

चूरू के बैजनाथ पंवार को मानुष तनु व दुलाराम को धानुका पुरस्कार

चूरू, 22 फरवरी। धानुका सेवा ट्रस्ट की ओर से रविवार को फतेहपुर में आयोजित सम्मान समारोह में चूरू के वरिष्ठ साहित्यकार बैजनाथ पंवार को ‘मानुष तनु’ व दुलाराम सहारण को ‘बसंती देवी धानुका युवा साहित्यकार पुरस्कार’ प्रदान किया गया। पुरस्कार स्वरूप पंवार व सहारण को ग्यारह-ग्यारह हजार रुपए नकद के अलावा प्रशस्ति पत्र, श्रीफल, शॉल व पंचमेवा भेंट कर पुरस्कृत किया गया। समारोह में राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गोरधन सिंह शेखावत को वर्ष 2008 व डॉ मदन सैनी को वर्ष 2009 के लिए सरस्वती सेवा पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ चंद्र प्रकाश देवल ने इस मौके पर कहा कि पुरस्कार के बाद लेखक की नैतिक जिम्मेदारी बढ जाती है कि वह अपने सार्थक सृजन से समाज को दिशा दे। राजस्थानी भाषा की मान्यता को उन्होंने राजस्थानियों की अस्मिता का सवाल बताते हुए उन्होंने कहा कि भाषा नहीं तो संस्कृति नहीं और बिना संस्कृति के हमारी कोई पहचान नहीं। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान रखें कि हम भारतीय हैं, इसलिए राजस्थानी नहीं है अपितु राजस्थानी हैं, इसलिए भारतीय हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थानी की मान्यता के आंदोलन को जन आंदोलन बनाना होगा। साथ ही उन्होंने मायड़ भाषा में उत्कृष्ट साहित्य सृजन पर भी बल दिया।
समारोह के प्रधान वक्ता श्याम महर्षि ने भी राजस्थानी की मान्यता की मांग जोरदार ढंग से उठाते हुए कहा कि जब तक भाषा रोजी-रोटी से नहीं जुडे़गी, तब तक उसका अस्तित्व बचाए रखना मुश्किल है।
साहित्यकार हनुमान दीक्षित की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में विशिष्ट अतिथि राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सीताराम महर्षि, प्रसिद्ध आलोचक डॉ किरण नाहटा ने भी संबोधित किया। आयोजक ट्रस्ट के नरेंद्र कुमार धानुका ने आभार जताया। संचालन डॉ चेतन स्वामी ने किया। समारोह के दौरान डॉ रामकुमार घोटड़ द्वारा संपादित पुस्तक ‘देश-विदेश की लघुकथाएं’ तथा शिशुपाल सिंह नारसरा व गोरधनसिंह शेखावत की पुस्तक ‘गांव की चौपाल एवं अन्य एकांकी’ का विमोचन किया गया। इस दौरान राजस्थानी के वरिष्ठ कवि भंवर सिंह सामौर ने अपनी क्षणिकाओं से श्रोताओं को खूब हंसाया।
कार्यक्रम में केसरी कांत ‘कांत’ पं. उमाशंकर, विश्वनाथ भाटी, सुधींद्र शर्मा सुधि, कमल शर्मा, देवकरण जोशी दीपक, उम्मेद गोठवाल सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, रचनाकार व नागरिक मौजूद थे।
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Saturday, February 6, 2010

दुलाराम सहारण को धानुका साहित्य पुरस्कार

चूरू, 06 फरवरी। सामाजिक, सांस्कृतिक व साहित्यिक क्षेत्र में कार्यरत प्रयास संस्थान के अध्यक्ष एवं युवा साहित्यकार श्री दुलाराम सहारण को वर्ष 2009 का ‘श्रीमती बसंती देवी धानुका युवा साहित्यकार पुरस्कार’ दिया जाएगा। श्री सहारण के चर्चित कहानी संग्रह ‘पीड़’ के लिए उन्हें यह पुरस्कार आगामी 21 फरवरी को फतेहपुर शेखावाटी में आयोजित होने वाले समारोह में प्रदान किया जाएगा।
पुरस्कार कमेटी के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार धानुका ने बताया कि सरस्वती पुस्तकालय, बीकानेर के सौजन्य से प्रतिवर्ष युवा साहित्यकार को दिए जाने वाले इस पुरस्कार के रूप में 11 हजार रुपए व मानपत्रा देकर सम्मानित किया जाता है। गौरतलब है कि कहानी संग्रह ‘पीड़’ सहित पांच पुस्तकों के रचयिता श्री दुलाराम सहारण इससे पहले भतमाल जोशी साहित्य पुरस्कार एवं ज्ञान फाउंडेशन पुरस्कार से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। श्री सहारण वर्तमान में केंद्रीय साहित्य अकादेमी के राजस्थानी एडवायजरी बोर्ड के सदस्य भी हैं।
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