माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने वाले राजस्थान के पहले सिविलियन और चूरू के लाडले गौरव शर्मा की निगाहें अब दक्षिण अमेरिका महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एकोन्कागुआ की ओर हैं। विश्व के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची पहाड़ी चोटियों पर तिरंगा फहराने के ख्वाहिशमंद गौरव संभवतः इस वर्ष मार्च में 23 हजार 834 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस पर्वत शिखर पर कदम रख चुके होंगे।
गौरव के मुताबिक, दुनिया के सबसे बड़े सांप एनाकोंडा के लिए मशहूर अर्जेंटीना के इस पर्वत शिखर पर चढाई के लिए मार्च से लेकर जून तक का मौसम सबसे बेहतर माना जाता है। वे इस सीजन की शुरुआत में ही इस अभियान को पूरा करने के मूड में हैं। रॉक्स की बहुतायत के कारण एकोन्कागुआ में आरोहण के लिए ज्यादातर रॉक क्लांइंबिंग के सहारे ही चढाई संभव होगी। चट्टानों की अधिकता से फिसलन के खतरे के चलते भी यह चढाई खासी चुनौतीपूर्ण रहेगी। इससे पहले गौरव को दलदली और कीचड़ भरे रास्ते से गुजरना होगा। गौरव बताते हैं कि वहां वातावरण अनुकूलन में भी थोड़ी परेशानी आ सकती है क्योंकि हिमालय की बजाय वहां की परिस्थितियां कुछ अलग हैं और ऑक्सीजन की मात्रा का प्रतिशत भी कम है। इन सब मुश्किलों के बावजूद गौरव के मन में कोई घबराहट, कोई बैचेनी नहीं क्योंकि गौरव को अपने हौंसले और शुभचिंतकों की दुआओं पर पूरा भरोसा है। फिर साउथ अ अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत किलीमिंजारो में उनके हमसफर रहे जयपुर के युवा साथी हरनाम सिंह इस बार भी उनके साथ होंगे। ऎसे में कहा जा सकता है निस्संदेह गौरव मार्च 2011 के किसी खूबसूरत पल में एकोन्कागुआ पर तिरंगा लहराते हुए उस पल की खूबसूरती में और इजाफा कर रहे होंगे।
सात शिखर छूने का सपना
चूरू के बाशिंदे गौरव ने 20 मई 2009 को दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ी चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था। इसके बाद उन्होंने विश्व के सातों महाद्वीपों के सर्वाधिक ऊंचाई वाले पर्वत शिखरों के आरोहण का संकल्प किया। इसी सपने को सच करने की दिशा में उन्होंने पिछले साल स्वाधीनता दिवस के मौके पर दक्षिणी अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट किलीमिंजारो पर अपने कदम रखे। अपने इन अभियानों में गौरव को खासी शारीरिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पडा है लेकिन वे हार मानने वालों में से नहीं हैं। हर बार अपनी संघर्ष क्षमता के बूते इन्होंने सफलता का दामन थामा है।
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